Friday, October 30, 2009

स्वाइन फ़्लू के लक्षण और बचाव के तरीके

भारत में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बरसात के इस मौसम में अक्सर फ़्लू संबंधी बीमारियां होती हैं, लेकिन ये न माना जाए कि बुख़ार आना या नाक बहना स्वाइन फ़्लू के लक्षण ही हैं. जानिए स्वाइन फ़्लू से बचने के तरीके.:-

#स्वाइन फ़्लू के लक्षण: बच्चों में.
-
-सांस लेने में तकलीफ महसूस करना.

-त्वचा के रंग में हल्का सा नीलापन.

-बुखार में उतार चढ़ाव लेकिन कफ़ का बढ़ना.

-इन लक्षणों के साथ बच्चों में चिड़चिड़ाहट होना या उनका पानी या दूसरी चीज़ें पीने से परहेज़ करना.



#वयस्कों में स्वाइन फ़्लू के लक्षण:

-सांस लेने में तकलीफ, छाती में भारीपन.

-जी मचलना, उल्टी आना या ऐसा महसूस करना.

-शरीर में दर्द के साथ बीच बीच में बुखार आना.

-अचानक सिर घूमने जैसी स्थिति महसूस करना.

-इन लक्षणों के साथ बार बार भ्रमित होना.



#कैसे करें स्वाइन फ़्लू से बचाव:

भीड़ भाड़ वाली जगह से लौटने के बाद पहले हाथ और फिर मुंह धोएं.

डॉक्टरों का कहना है कि खांसने या छींकने या नाक साफ करने के बाद अपने हाथ आंख, नाक और मुंह पर कतई न लगाएं. शरीर के ये हिस्से सबसे ज़ल्दी फ़्लू की चपेट में आते हैं. सावधानी के लिए समय समय पर हाथ धोते रहें.

रुमाल और इनहेलर जैसी चीजे़ बेहद साफ सुथरी रखें. साथ ही घर की सफ़ाई पर खासा ध्यान दें. छींकते और खांसते वक्त अलग रुमाल का इस्तेमाल करें. दो रुमालों को अलग अलग रखें.

मेज़, खाना बनाने की जगह, बाथरूम के फ़र्श और कोनों को साफ़ रखें. इन जगहों पर बैक्टरिया आसानी से पनपते हैं. सफ़ाई के लिए पानी के साथ कीटनाशकों का इस्तेमाल करें.

डॉक्टरों की यह भी सलाह है कि सिर दर्द, बुखार और जुकाम जैसे लक्षण होने पर खून की जांच करवा लें. और अगर आपके घर का कोई सदस्य फ़्लू से पीड़ित है, तो उसे घर के दूसरे सदस्यों से अलग रखें. उसके खाने के बर्तन अलग करने की तो ज़रूरत नहीं है, लेकिन इस बात पर ध्यान दें कि दूसरे सदस्यों के इस्तेमाल के पहले वे खूब अच्छी तरह से धुलें हों.

Thanks ,
keshav

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