Wednesday, October 28, 2009

ॐ आरति लक्ष्मी जि कि ॐ


ॐ जय माता,मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निशि दिन सेवत,सरि बिष्णु विधाता ।। ॐ
उमा रमा,ब्रहाणी तुमहि जग माता।
सुर्य- चंद्रमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता ।। ॐ

दुर्गा रुप निरंजनि,सुख-सम्पति दाता।
जो कोहि तुमको ध्याता,ऋध्दि-सिध्दि धन पाता ।।ओ३म्।।

तुम पाताल-निवासिनि,तुम शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि कि त्राता।। ओ३म्।।

जिस घरमे तुम रहति।सब सदगुण आता।
 सब सम्भव हो जाता,मन नहीं घबराता।। ओ३म्।।

तुम बिना यज्ञ नहि होता, वस्त्र न होता पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।। ओ३म्।।

शुभ-गुण मंदिर सुन्दर, क्षीरो दधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिना कोइ नहि पाता ।। ओ३म्।।

महालक्ष्मीजि की आरति,जो कोहि जन गाता।
उर आन्नद समाता।पाप उतर जाता।। ओ३म्।।

0 comments:

  © Free Blogger Templates Spain by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP